Wednesday, August 1, 2012

मेघवाल समाज के गौत्र

क्र.स. गोत्र
1 आयच
2 आसोपिया
3 आडान्या
4 अरटवाल
5 बङल / बिङला
6 बदरिया
7 बारङा
8 बागेच
9 बाघेला
10 बागराना
11 बजाङ
12 बलाच
13 बामणिया
14 बाणिया
15 बाण्यत
16 बारडा
17 बरी
18 बारुपाल
19 बरवङ
20 बावल्या
21 बावरा
22 बेघङ
23 बेरिया
24 बेरवा
25 भादरु
26 भद्राङ / य़ादव
27 भडसिया
28 बागराना
29 भानाल
30 भटान्या
31 भाटी / भाटीया
32 भटनागर
33 भायलान
34 भियावार
35 भिन्डल / बिडल
36 भोलोद्या
37 बिकुन्दिया
38 बिराईच
39 बोखा / बृजवाल
40 बुङगया
41 बुगालिया
42 चाहिल्या
43 चन्देल
44 छटवाल
45 चूहङा
46 चौहान
47 चूहङा
48 दहिया
49 दानोदिया
50 देऊ
51 देपन
52 देवपाल
53 धणदे
54 धान्धु / धान्धल
55 धाणिया
56 धूमङा
57 ढोर
58 दिवराया
59 ढिय
60 एपा
61 गाडी
62 गन्डेर
63 गांधी
64 गरवा
65 गहलोत /गहलोतिया
66 गेंवा
67 घोटण
68 गोदा
69 गोगलु
70 गोयल
71 गुजरिया
72 गुलसर / गुलसठ
73 गुनपाल
74 हालु
75 हाटेला
76 हेवाल
77 हिंगङा
78 हिंगोलिया
79 ईनाण्या
80 ईणकिया / ईणखिया
81 ईन्दलिया
82 जाम
83 जैपाल
84 जलवाणिया
85 जनागल / जुनागल
86 जतरवाल
87 जावन
88 जायल
89 जोधा
90 जोधावत
91 जोगल
92 जोगचन्द
93 जोगु
94 जोरम्
95 जोया
96 जुईया
97 कङेला
98 कजाङ
99 काला
100 कांटिवाल
101 कर्णावत
102 कटारिया
103 कथिरिया
104 कट्टा
105 खाल्या
106 खाम्भु
107 खंजानिया
108 खारङिया
109 खत्री
110 खीची
111 खिमयादा
112 खिंटोलिया
113 कोचरा / कोचर / केश्वर
114 कोडेचा
115 कुन्नङ
116 लडाना
117 लखटिया
118 लालणेचा
119 लवा / लोहिया / लहवा
120 लिखणिया / लखानी
121 लीलङ
122 लूना
123 लोथिया
124 माचर
125 मंगलेचा
126 मेहरङा
127 महरनया
128 मकवाणा
129 मांगलिया
130 मांगस
131 मरहङ
132 मरवण
133 मेहरङा / मेहरा
134 मेलका
135 मेव
136 मोबारसा
137 मोहिल
138 मोयल
139 मुछा
140 नागोङा
141 निंबङिया
142 पङिहार
143 पलास्या
144 पालङिया
145 पन्नु
146 पंवार / परमार
147 पारंगी
148 पङिहार
149 पारखी
150 पातलिया
151 पतीर
152 पावटवाल
153 पिपरलिया
154 पूनङ
155 राडिया
156 राहिया
157 राणवा
158 रांगी
159 राठी
160 राठोङिया / राठौङ
161 रोहलन / रोलन
162 रोलिया
163 सामर्या
164 संडेला
165 सांखला
166 सीमार
167 सेजु
168 शपूनिया / छपूनिया
169 शेवल
170 शोर्य
171 सिधप
172 सिंडार्या
173 सिंगङा
174 सोडा / सोडिया
175 सोलंकी
176 सोनेल
177 सूटवाल
178 सुमारा
179 सुणवाल
180 तालपा
181 तनाण
182 तंवर्
183 तिङदिया
184 टुंटिया
185 तुर्किया
186 वर्मा
साभार-राजस्थान मेघवाल परिषद की वेबसाईट
http://www.meghwalparishad.com

Friday, May 11, 2012

राजस्थान मेघवाल समाज-एक परिचय


हम मेघवाल हैं मेघवाल रहेंगे-आर.पी. सिंह



मेघवंश समाज अनेक टुकड़ों में बंटा हुआ है। ये अनेक टुकड़े अपने को एक दूसरे से अलग समझने लगे तथा एक दूसरे से ऊंचा बनने की होड़ में अपनी संगठन शक्ति खो बैठे हैं। मेघवंशी,भांबी,बलाई,सूत्रकार,जाटा,मारू, बुनकर,सालवी,मेघ,मेघवाल,मेघरिख,चांदौर,जाटव,बैरवा इत्यादि पर्यायवाची उपनामित जातियां स्वयं को एक दूसरे से अलग एवं ऊंचा मानकर आपस में लड़ती रहती हैं।

यदि ये सब उपजातियां केवल एक जाति के रूप में संगठित हो जाएं तो वे अपने जीवन में एक बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकती हैं। ये सोच उभरी तो इसके क्रियान्वयन के लिए अनेक शुभचिंतकों व गुरुओं ने समाज को केवल एक मेघवाल नाम देकर संगठित करने का प्रयास किया, जिसके सार्थक परिणाम सामने आए। 12 सितंबर 1988 को राजस्थान मेघवाल समाज नाम की इस संस्था का पंजीकरण कराया गया।

प्रारंभिक संस्थापकों ने समाज को जोडऩे का खूब प्रयास किया। लेकिन इनकी अन्य कार्याे में व्यस्तता के कारण यह संस्था मृतप्रायः हो गई। इस संस्था में प्राण फूंकने के उद्देश्य से 27 अप्रैल 2004 को जयपुर में बैठक आयोजित की गई। संस्था का संरक्षक श्री रामफल सिंह को बनाया गया। उद्देष्य हैं कि उपजातियां अपने आपस के वर्ग भेद मिटाकर पुनः अपने मूल मेघवंश रूप मेघवाल नाम को स्वीकारें और अपनी जाति पहचान को संगठित,सृदृढ़ और अखंड बनाए रखने के लिए अब मेघवाल नाम के नीचे एक हो जाएं।

समाज के कुछ लोग इसका विरोध करते हैं। उनका कहना है कि बलाई,बैरवा,जाटव इत्यादि मेघवाल क्यों बनें। इस बारें में संरक्षक श्री रामफल सिंह का सुझाव है कि जब ब्राह्मण समाज में 52 उपनामित जातियां हैं। लेकिन वे सभी सर्व ब्राह्मण महासभा के बैनर के नीचे बैठकर समाज हित में चिंतन कर सकते हैं। एकता के दावों के साथ अपने अधिकार की मांग करते हैं तो हम एक बैनर तले आने में संकोच क्यों करते हैं।

गुर्जर समाज का एक और उदाहरण देखिए। एकता की बात आई तो गुर्जर समाज ने उपजाति तो क्या धर्म को भी भुला दिया और क्रिकेट खिलाड़ी अजहरूद्दीन,फिल्म एक्टर अक्षय कुमार और दौसा से चुनाव लड़े कमर रब्बानी चौची तक को गुर्जर भाई माना। कोई भी लड़ाई दिमाग से लड़ी जाती है।

यदि दिमाग के स्तर पर हार जाता है तो वह मैदान में कोई लड़ाई नहीं जीत सकता। हमारी अब तक की दीन हीनता और दुरावस्था का कारण ही यह रहा कि हम एकजुट नहीं रहे। यानि हम दिमाग स्तर पर पराजित रहे हैं। क्यों नहीं हम जाति को ही हथियार बनाकर अपने अधिकारों के लिए सार्थक ढंग से लड़ाई लड़ें। इसके लिए मेघवंश की एकता मजबूती और ताकत दे सकती है। हम मेघवाल हैं मेघवाल रहेंगे।

संपर्क-

श्री आर.पी. सिंह, संरक्षक, राजस्थान मेघवाल समाज (रजि. संख्या 224/जय/88-89)73, अरविंद नगर, सी,बी,आई. कालोनी, जगतपुरा, जयपुर. मो. 9413305444, 0141-2750660
श्री झाबर सिंह, बी-31, अध्यक्ष, राजस्थान मेघवाल समाज (रजि.), कैंप कार्यालय, संजय कालोनी, नेहरू नगर, आरपीए के सामने, जयपुर, मो. 9414072495, 9829058485

Saturday, April 21, 2012

मेघवाल समाज ने लिखे सामूहिक विवाह के सावे

देसूरी,17 अप्रेल। कोट सोलंकियान ग्राम में स्थित हरचंदपीर आश्रम में आयोजित होने वाले मेघवाल समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन को लेकर सावे लिखे गए। श्री मारवाड़ मेघवाल सेवा संस्थान देसूरी शाखा द्वारा आगामी एक मई को आयोजित हो रहे इस आयोजन के दौरान कुल इक्यावन जोड़ें परिणय सूत्र में बंधेगें। कोट सोलंकियान ग्राम में स्थित हरचंदपीर आश्रम में पीर गुलाबदासजी महाराज एवं गादाणा बायोसा मंदिर के प्रमुख प्रतापराम गोयल के सानिध्य व जिला परिषद सदस्य प्रमोदपाल सिंह मेघवाल की अध्यक्षता में आयोजित इस सावा लेखन कार्यक्रम का शुभारंभ विनायक पूजन के साथ हुआ। इसी के साथ अलखजी,रामदेवजी एवं हरचंदपीर की पूजा अर्चना एवं जैकारों व नगाड़ो,ढ़ोल थाली की गूंज के साथ सावे लिखे गए। इस दौरान महिलाओं द्वारा गाये गए मंगल गीतों के साथ कोट सोलंकियान परगने के दस ग्रामों की ओर से जोड़ो के परिजनों को वर-वधु की बड़ी सहित अन्य वैवाहिक सामग्री का वितरण भी किया गयां संस्थान की देसूरी शाखा के अध्यक्ष फूसाराम माधव ने बताया कि विवाह समारोह के दौरान 108 कलश यात्रा,घोड़ो और हाथी के साथ बंदोली आयोजन होगा। बैठक में केन्द्रीय संस्थान के पदाधिकारी लक्ष्मण बेगड़,मोहनलाल भाटी,भंवरलाल कोलर,सकाराम दहिया,संस्थान की देसूरी शाखा के उपाध्यक्ष एड़वोकेट श्रीपाल मेघवाल,विनोद मेघवाल,रतन भटनागर,प्रेम भटनागर,पूर्व जिला परिषद सदस्य मोतीलाल परिहार,चिरपटिया सरपंच चौथाराम,मगरतलाव की पूर्व सरपंच श्रीमती छगनीदेवी,दलित नेता बस्तीमल सोनल,भंवरलाल जोजावर,विवाह समारोह समिति के पदाधिकारी पनोता से भलाराम मोबारसा,किकाराम इकरिया,दौलाराम मोबारसा,तेजाराम इकरिया,कोट सोलंकियान से जालाराम चौहान,वीरमराम मेसंड़,,रूपाराम परमार,नया गांव से वरदाराम,जीवाराम चौहान,कोलर से मांगीलाल पंवार,किकाराम,शंकरलाल भोपा,मोहनलाल पंवार,मगरतलाव से पुकाराम परमार,मांगीलाल मगरतलाव,गुड़ा गोपीनाथ से शंकरलाल,गुड़ा दुर्जन से सवाराम,मेवीखुर्द से डूंगाराम व सुखाराम तंवर,सोनाराम,उदाराम सहित हजारों की संख्या में मेघवाल समाज के लोग मौजूद रहें।

Thursday, March 29, 2012

मेघवाल ने सपत्नीक बाल तपस्वनी अणचीबाई के दरबार में किए नवरात्री




अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री गोपाराम मेघवाल ने मेघवाल समाज की
आराध्य देवी बाल तपस्वनी श्री अणचीबाई के मंदिर नाडोल पाली में सपत्नीक
नवरात्री स्थापना के उपवास किया। पुजारी श्री हरजी महाराज ने घट स्थापना
के साथ पुजा-अर्चना कर उन्हें पवित्र जल का चरणामृत कराया।

इस अवसर पर श्री प्रमोदपाल सिंह मेघवाल जिला परिषद सदस्य, श्री घीसाराम
बमणिया विकास अधिकारी प.स. देसूरी, शेषाराम मेघवाल, गेनाराम, मोडाराम
भटनागर, भलाराम मोबारसा, ढलाराम मेघवाल ग्राम सेवक सहित समाजबन्धु
उपस्थित थे।

शाम आरती के बाद भजन मालाः श्री मेघवाल शाम की आरती के बाद रात 8बजे तक
भजन माला करने के बाद समाज बन्धुओ के साथ र्वातालाप एवं भजन रस का आनन्द
लेते है।

Monday, March 26, 2012

मेघवाल समाज की पत्र-पत्रिकाएं

मेघवाल बंधु अक्सर पूछते रहते हैं कि अपने समाज की भी कोई पत्रिका हैं क्या? इसकी वजह भी हैं कि समाज के कई बुर्जुगों व बंधुओं ने समय-समय पर पत्रिकाएं तो प्रकाशित की। लेकिन पर्याप्त विज्ञापन अथवा आर्थिक मदद न मिलने से वे अपने मोर्चे पर लम्बे समय तक टिके नहीं रह सकें। फलतः पत्रिकाएं निकलती रहीं और बंद होती रही। लेकिन वर्तमान में जो भी पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही हैं। उनमें से एक भी पत्रिका अपनी देषव्यापी पहचान बन सकी हैं। जयपुर से ‘उदयमेघ’ का प्रयास ठिक हैं। लेकिन अभी प्रतिनिधि पत्रिका की कमी कोई पत्रिका पूरी नहीं कर सकी हैं। वैसें मेघवाल पत्रकारिता के इतिहास पर दृष्टिपात करें तो सबसे पहले मेवाड़ मेघवाल मंड़ल के प्रधानमंत्री स्व.भैरूलाल मेघवाल ने ‘दृष्टिकोण’ पत्रिका प्रकाशित कर की थी। यह पत्रिका अब भी प्रकाशित हो रही हैं। हांलाकि इन दिनों मुझे यह कहीं दिखाई नहीं दी हैं। बीकानेर से बुर्जुग प्रेमी साहब दलित समाज की पत्रिका के बतौर ‘हकदार’ निकाल रहें हैं। पिछले दिनों मुझे एक बैठक में जानकारी मिली की,अब इसका कलेवर मेघवाल समाज के परिप्रेक्ष्य में कर दिया गया हैं। मेघवाल समाज के बंधुओं की जानकारी के लिए इन पत्रिकाओं को मंगवाने अथवा इनके बारें में जानकारी करने के लिए नीचे पते दिए जा रही हैं। इसके अतिरिक्त भी कोई पत्रिका निकलती हो,तो मेरे और पाठकों की जानकारी में वृद्धि करने के लिए मेरे ईमेल पर संपर्क किया जा सकता हैं।
मेघवाल समाज की पत्रिकाओं के लिए इन पतों व फोन नं. पर संपर्क करें-
1.श्री बाबूलाल वर्मा,संपादक,उदय मेघ,सी-40,अमरदेवी स्कूल के सामने,मजदूर नगर,अजमेर रोड़,जयपुर,राजस्थान। मोबाइल नं.-9828278574
2.श्री रामनिवास रोजड़े,संपादक-सूत्रकार संकेत,708,गोटू की चाल,मालवा मिल,इन्दौर मध्यप्रदेष। मोबाइल नं.-9303205009
3.श्री पन्नालाल प्रेमी,संपादक-हकदार,बीकानेर,राजस्थान।
4.श्री प्रकाश मेघवाल,संपादक-दृष्टिकोण,मोती चौक,उदयपुर राजस्थान।
इसे ईमेल करें, इसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करेंFacebook पर साझा करें1 टिप्पणियाँ इस संदेश के लिए लिंक प्रस्तुतकर्ता प्रमोदपाल सिंह मेघवाल

हम कौन हैं, कहाँ से आए थे....

हम कौन हैं, कहाँ से आए थे...

श्री भारत भूषण भगत ने यह आलेख मेघयुग को टिप्पणी के रूप में भेजा था। इसे मूल रूप में ही प्रकाशित किया जा रहा हैं।

हम कौन हैं, कहाँ से आए थे....यह प्रश्न प्रत्येक मानव समूह करता है और हर बात को अपने पक्ष में देखना चाहता है. हमारी जाति समूह में भी यह प्रश्न सदियों से पूछा जाता रहा है और जानकार लोग अपनी-अपनी जानकारी के अनुसार उत्तर देते आए हैं. माता-पिता, भाई-बहनों, मित्रों, संबंधियों से यह प्रश्न किया जाता है. कई प्रकार की विद्वत्ता और विवेक की जानकारियाँ मिलती हैं.
विकिपीडिया पर संक्षेप में लिखे मेघवाल और उससे लिंक किए गए अन्य शोधपूर्ण विकिपीडिया आलेख बहुत उपयोगी लगे. ज्यों-ज्यों इन्हें देखता गया हाथ में आए सूत्र आख़िरकार मन से उतरने लगे. मन भर गया. इनमें दी गई जानकारी कई जगह इकतरफ़ा है. परंतु कुछ इमानदार टिप्पणियाँ भी मिलीं जो सत्य का प्रतिनिधित्व करती थीं.
आर्यों के आक्रमण से पूर्व सिंधु घाटी की सभ्यता या मोहंजो दाड़ो और हड़प्पा सभ्यता का उल्लेख है जिसके निवासी राजा वृत्रा और उसकी प्रजा थी. यह अपने समय की सब से अधिक विकसित सभ्यता थी जिसके निवासी शांति प्रिय थे और छोटे-छोटे शहरों में बसे हुए थे. कृषि और कपड़ा बुनना उनका मुख्य व्यवसाय था. उस समय की जंगली, हिंसक और खुरदरी आर्य जाति का वे मुकाबला नहीं कर सके और पराजित हुए. उनका बुरा समय शुरू हुआ. इसके बाद जो हुआ उसे दोहराने की यहाँ आवश्यकता नहीं. इतना जान लेना बहुत है कि राजा वृत्रा को वृत्रा असुर, अहिमेघ (नाग), आदिमेघ, प्रथम मेघ, मेघ ऋषि आदि कहा गया. वेदों में ऐसा लिखा है. आगे चल कर उसकी कथा से लेकर असुरों की पौराणिक कथाओं, नागवंश उनके राजाओं और उनके बचे-खुचे (तोड़े मरोड़े गए) इतिहास की बिखरी कड़ियाँ मिलती हैं. उनसे एक तस्वीर बनती ज़रूर नज़र आती है. यह तस्वीर ऐसी है जिसे कोई जाति भाई देखना नहीं चाहेगा. वीर मेघ पौराणिक कथाओं की धुँध में आर्यों के साथ हुए युद्धों में वीरोचित मृत्यु को प्राप्त होते दिखाई देते हैं तथापि आक्रमणकारी आर्यों ने उन्हें वीरोचित सम्मान नहीं दिया. यह सम्मान देना उनकी परंपरा और शैली में नहीं था. असुरों, राक्षसों, नागों (हिरण्यकश्यप, हिरण्याक्ष, प्रह्लाद, विरोचन, बाणासुर, महाबलि, रावण असुर, तक्षक, तुष्टा, शेष, वासुकी आदि) के बारे में जो लिखा गया और जो छवियाँ चित्रित की गईं, उनके बारे में सभी जानते हैं. फिर हर युग में जीवन-मूल्य बदलते हैं, इसी लिए ऐसा हुआ. वैसे भी इतिहास में या कथाओं में वही लिखा जाता है जो विजयी लिखवाता है.

इतिहास में उल्लिखित कई राजाओं को मेघवंश के साथ जोड़ कर देखा गया है. वे जिस काल में सत्ता में रहे उसे अंधकार में डूबा युग (dark period) कहा गया या लिख दिया गया कि तत्विषयक जानकारी उपलब्ध नहीं है. यानि इतिहास बदला गया या नष्ट कर दिया गया. ऐसी धुँधली कथाओं और खंडित कर इकतरफ़ा बना दिए गए इतिहास को कितनी देर तक अपनी कथा के तौर पर देखा जा सकता है. अनुचित को देखते जाना अनुचित है. अपनी पुरानी फटी तस्वीर पर खेद जताते जाना और अफ़सोस करना अपने वर्तमान को ख़राब करना है. सच यही है कि समय की ज़रूरत के अनुसार मेघ पहले भी चमकदार मानवीय थे, आज भी निखरे मानवीय हैं. वे पहले भी अच्छे थे, आज भी अच्छे हैं. युद्ध में पराजय के बाद कई सदियों तक जिस घोर ग़रीबी में उन्हें रखा गया उसके कारण उनके मन और शरीर भले ही उस समय प्रभावित हुए हों लेकिन उनकी आत्मा पहले से अधिक प्रकाशित है. अपने मन को ख़राब किए बिनी हम अन्य जातियों के साथ कंधे से कंधा मिला कर देश की प्रगति के लिए कार्य कर रहे हैं. भविष्य में हमारी और भी सक्रिय भूमिका है.
इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! Twitter पर साझा करेंFacebook पर साझा करें2 टिप्पणियाँ इस संदेश के लिए लिंक प्रस्तुतकर्ता प्रमोदपाल सिंह मेघवाल

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Thursday, March 22, 2012

नौ बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लिया गणपत मेघवाल ने

भरत मेघवाल
पाली.शहर के सरदार पटेल नगर में रहने वाले गणपत मेघवाल ने फुटबाल खेल में अब तक कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने नौ बार राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। मेघवाल का कहना है कि इस खेल के लिए उन्हें उनके पिता पूनमचंद ने प्रेरित किया। 1984 में उन्होंने फुटबाल खेलना शुरू किया था। खेल में बेहतर प्रदर्शन के चलते उन्होंने अब तक 11 बार राज्य प्रतियोगिता में भाग लेकर शानदार प्रदर्शन किया। गणपत की इस खेल में मजबूत पकड़ होने के कारण अधिकतर प्रतियोगिताओं में उन्हें स्थान मिलता रहा। उन्होंने कोटपूतली में 1986 में आयोजित स्कूल स्टेज प्रतियोगिता, राजस्थान स्टेट चैंपियनशिप 1990, बाडमेर, जोधपुर, भरतपुर, भीलवाड़ा, डिडवाना, बूंदी, सवाईमाधोपुर व अजमेर समेत कई जिलों में आयोजित राजस्थान स्टेट सीनियर प्रतियोगिताओं में भाग लिया। मेघवाल वर्तमान में तीन साल से पाली जिला फुटबाल संघ में ज्वाइंट सेक्रेट्री पद संभाले हुए हैं। अब वे विभिन्न स्थानों पर होने वाली प्रतियोगिताओं में टीम लेकर जाते हैं।

इन नेशनल प्रतियोगिता में लिया भाग

उन्होंने उदयपुर में आयोजित तीन राष्ट्रीय प्रतियोगिता, बीकानेर में आयोजित भगवत मेमोरियल फुटबाल प्रतियोगिता में तीन बार, बीकानेर में आयोजित बच्ची गोल्ड कप प्रतियोगिता, गंगानगर में आयोजित दशहरा फुटबाल प्रतियोगिता में भाग लिया। इसी प्रकार गुजरात के बदौड़ा में आयोजित संतोष ट्राफी केंप में चयन हुआ।

ब्लड डोनेशन में भी आगे

गणपत मेघवाल खिलाड़ी होने के साथ ब्लड देने में भी हमेशा आगे रहते हैं, वे समय समय पर आयोजित शिविरों में रक्तदान करते रहते हैं। अब तक वे 60 से अधिक बार रक्तदान कर चुके हैं।

कई बार हुए सम्मानित

रक्तदान करने पर उनको कई बार सम्मानित भी किया गया है। रक्तदान में अव्वल रहने पर वे पूर्व मंत्री लक्ष्मीनारायण दवे व राजेंद्र चौधरी के हाथों सम्मानित हो चुके हैं।

(लेखक श्री भरत मेघवाल दैनिक भास्कर के पाली संस्करण में उपसंपादक के रूप में कार्यरत हैं और यह आलेख दैनिक भास्कर से साभार प्रकाशित किया जा रहा हैं।)
Link-http://www.bhaskar.com/article/RAJ-OTH-1170235-1809596.html

Monday, January 30, 2012

'जनसेवा में अर्जुन राम मेघवाल'

नेता प्रतिपक्ष ने किया मेघवाल की पुस्तक का विमोचन

बीकानेर संसदीय क्षेत्र से सांसद मेघवाल के कार्यकाल का एक वर्ष पूरा हुआ है। इस अवधि में उनके द्वारा किए गए कार्यो और उपलब्धियों पर 'जनसेवा में अर्जुन राम मेघवाल' शीर्षक से पुस्तक प्रकाशित की गई है।

सुषमा स्वराज ने मेघवाल के प्रयासों की सराहना करते हुए उपस्थित अन्य सांसदों से भी अपने कार्यकालों का ब्योरा अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों के समक्ष रखने की बात कही। पुस्तक को 26 शीर्षकों में विभाजित किया गया है। जिसमें परिचय, लोकसभा में उठाए गए प्रमुख मुद्दे, लोकसभा टीवी को दिए साक्षात्कार, आगामी प्राथमिकताएं, सांसद निधि कोष से क्षेत्र में कराए गए विकास का ब्योरा आदि संकलित की गईं हैं। इसके अतिरिक्त सांसद के रूप में पार्टी संगठन के लिए किए गए कार्यो एवं विदेश यात्रा का भी उल्लेख किया गया है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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Topics:
नेता, प्रतिपक्ष, ने, किया, मेघवाल, की, पुस्तक, का, विमोचन
दिसंबर 2, 2010 की अन्य खबरें


Meghwal MP from Bikaner constituency of the term is one year. In this period the works and achievements by their "public service Arjun Ram Meghwal titled book is published.

Sushma Swaraj Meghwal appreciate the efforts of other MPs to present details of their tenures to the people of his constituency to speak of. Book is divided into 26 titles. Which introduces the major issues raised in the Lok Sabha, Lok Sabha TV interview, upcoming priorities, MP Development Fund were made in the details that were compiled etc.. In addition to the MPs as the party organization, functions and travel abroad has also been mentioned.

Indo - Asian News Service.
[Write comment] [Friend e - mail]
Topics:
Leader, Opposition, has done, Meghwal, of, Book, of, release
December 2, 2010 Other News
प्रस्तुतकर्ता navratna mandusiya पर 12:57 AM
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लेबल: Opposition leaders have also released the book Meghwal
प्रतिक्रियाएँ:

मेघवाल समाज शिक्षित बनो; संगठित रहो; उन्नति करो

मेघवाल समाज शिक्षित बनो; संगठित रहो; उन्नति करो;
महासभा के उद्देश्य :-
1. भारतीय लोकतंत्र की रक्षा एवम भारत के विकास में सहयोग देना तथा मानव समरसता बढाना।
2. समाज में शिक्षा का वातावरण पैदाकर शैक्षिक जाग्रति पैदा करना।
3. समाज में समग्र मार्गदर्शन हेतु अच्छे साहित्य की रचना करना तथा सही मार्गदर्शन हेतु पत्रिका एवं पुस्तकों का प्रकाशन करना।
4. समाज को संगठित करना, आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करना तथा उनके नागरिक, सामाजिक एवं
5. समाज को संगठित करना, आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने में मदद करना तथा उनके नागरिक, सामाजिक एवं राजनैतिक अधिकारों के लिये चेतना जाग्रत करना।
6. समाज में शैक्षणिक, सांस्कृतिक एवं खेलकूद आदि कार्यक्रम आयोजित करना।
7. समाज के लिये सामुदायिक भवन, छात्रावास तथा विद्यालयों आदि का निर्माण कर संचालन करना।
8. समाज में नारी उत्थान हेतु नारी शिक्षा एवं महिला अधिकारों के प्रति जागरूकता पैदा करना। परित्यक्ता, विधवा, बेसहारा नारियों के विकास के लिये समुचित मार्गदर्शन प्रदान करना।
9. समाज के विकलांग बच्चों के विकास हेतु समुचित कार्य करना।
10. समाज के युवा शिक्षित बेरोजगारों को स्वरोजगार के लिये प्रेरित करना।
11. गरीब मेधावी छात्र/छात्राओं को तलाशना एवं समुचित आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना।
12. विवाह योग्य युवक/युवतियों का परिचय सम्मेलन करवाना।
13. गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले विवाह योग्य युवक/युवतियों को निःशुल्क विवाह के लिये योगदान करना।
14. समाज में व्याप्त बुराईयों, कुरीतियों एवं अंधविश्वासों को जड़ से समाप्त करने हेतु प्रचार-प्रसार करना।
15. समाज के किसानों को खेती में वैज्ञानिक तकनिकी का प्रशिक्षण दिलाना एवं उन्नत खेती करने के लियें प्रोत्साहित करना।
16. समाज में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों एवं कर्मचारियों को संगठित कर न्याय दिलाना।
प्रस्तुतकर्ता navratna mandusiya पर 3:54 AM
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लेबल: Meghwal Be educated society; stay organized; do progress;
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प्रमुख लोग meghwal samaj Key people

प्रमुख लोग meghwal samaj

Key people

ASHOKKUMAR BHATTI IS PRESIDENT-REPUBLICAN PARTY OF INDIA.GUJARAT STATE Afkir brother Vaghela 03 times minister of Gujarat, Social Justice Empowerment. The SSA Exact Minister of Social Justice Empowerment O.
Bhagat Ram Mialakie Punjab were the first among all of the SC that the Punjab Civil Services (PCS) has selected the first batch. He magistrate and other administrative positions and HR, IAS and Master of Daulat Ram together Mehoan worked to make the SC include [46].
Ms Suman Bhagat Jammu - Kashmir Government to the level reached in the Health and Medical Education Minister [47].
Bhagat Acunie Red Cloud was the first member of the Punjab Legislative Assembly was elected. He contested on the BJP ticket. [48]
Ms. Sneha Lata Kumar Bhagat, the first woman in Punjab Mehoan directly IAS (Indian Administrative Service) officer became. They then came to light when he Chennai during the All India Civil Services competition won two silver medals in swimming events. [49]
Ms. Vimla Bhagat was the first cloud that has been promoted to IAS. He became president of the Himachal Pradesh Public Service Commission [50].
Freedom fighter Mr. Dhnepat Ray burner Kaalera Acwru Bass was born in a Meghwal
Bhanwar Lal Meghwal education minister of Rajasthan [51].
Surender Alase a well-known journalist and media Mehwar Cell, Bilawal House, Pakistan's media coordinator. Mehwar in Pakistan within the community the most prominent and influential man. They cast Shidyuld Federation of Pakistan's founder president.
Asked Lal Vishwakarma National Awards (1998) and Shram Shri Award (2003) found [52].
Pro. Raj, National Chairman, Bhagat General Assembly [53] in India has worked for the unity of Mehoan. He Punjab, Haryana, Jammu and Kashmir, Rajasthan etc. Bhagat General Assembly established the state units. They create awareness among Mehoan to run social networking.
54.dhodh mla shree pema ram meghwal
55.mla shree pawan dugal(meghwal)
56.bikaner m.p arjun ram meghwal
प्रस्तुतकर्ता navratna mandusiya पर 12:48 AM
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लेबल: bharat me meghwal samaj ko anek namo se jana jata h
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Saturday, January 28, 2012

देसूरी : मेघवाल समाज आयोजित करेगा कोट सोलंकियान में सामूहिक विवाह

देसूरी : मेघवाल समाज आयोजित करेगा कोट सोलंकियान में सामूहिक विवाह

संवाददाता देसूरी ११ जनवरी
मेघवाल समाज ने कोट सोलंकियान में 51 जोड़ों का सामूहिक विवाह आयोजित करने का निर्णय लिया हैं। यह आयोजन मारवाड़ मेघवाल सेवा संस्थान देसूरी शाखा के तत्वावधान में होगा। इससे पूर्व यह संस्थान मारवाड जंक्शन में सामूहिक विवाह का सफल आयोजन कर चुका हैं।
कोट सोलंकियान स्थित हरचंदवाणी अलख आश्रम में पीर गुलाबदासजी महाराज के सानिध्य,मारवाड़ मेघवाल सेवा संस्थान देसूरी शाखा के अध्यक्ष फू साराम माधव की अध्यक्षता एवं केन्द्रीय अध्यक्ष भोपाजी प्रतापराम गोयल के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस बैठक में मेघवाल समाज ने इस सामूहिक विवाह के आयोजन की सहर्ष मंजूरी दी। इसी के साथ इस आयोजन के लिए समाज के भामाषाहों ने तीन लाख की धनराशि की घोषणा की और उपहारों एवं विवाह सामग्री की घोषणा करने की झडी लगा दी।
बैठक में बताया गया कि विवाह पंजीयन के लिए सात हजार की राशि जमा करानी होगी। वर-वधु को बालिग होना आवश्यक हैं और शपथ पत्र पर एक घोषणा पत्र भी प्रस्तुत करना होगा। विवाह समारोह की तिथि व विवाह की तैयारियों के संबध में निर्णय आगामी बैठकों में किया जाएगा। बैठक में जिला परिषद सदस्य प्रमोदपाल सिंह मेघवाल,केन्द्रीय प्रभारी लक्ष्मण बेगड एवं देसूरी ब्लॉक के पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में मेघवाल समाज के पंच एवं युवक मौजूद थे। बैठक का संचालन मोहनलाल भाटी ने किया।














प्रस्तुतकर्ता navratna mandusiya पर 12:55 AM 0 टिप्पणियाँ
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लेबल: मारवाड़ मेघवाल सेवा संस्थान

Friday, January 6, 2012

श्रीमती मंजू मेघवाल


रविवार, २० नवम्बर २०११
श्रीमती मंजू मेघवाल

श्रीमती मंजू मेघवाल




पुष्कर (अजमेर) में 20 अप्रैल,1977 को जन्मी श्रीमती मंजू मेघवाल एम.ए. (लोक प्रशासन) तक शिक्षित हैं। इनका विवाह श्री ओमप्रकाश मेघवाल के साथ हुआ तथा आपके दो पुत्र हैं। पेशे से व्यवसायी श्रीमती मेघवाल तेरहवीं राजस्थान विधानसभा के लिए जायल (नागौर) विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित हुई।



श्रीमती मेघवाल ने बिना राजनितिक पृष्ठ भूमि के उत्तरोतर सफलता हासिल की हैं। वर्ष 2000 में जायल पंचायत समिति में निर्विरोध पंचायत समिति सदस्य चुनी गई। इसी के साथ वे निर्विरोध प्रधान निर्वाचित हुई। प्रधान का कार्यकाल पूर्ण होते ही इन्होंने विधानसभा चुनाव में अपनी दावेदारी जताई। लेकिन तब इन्हें टिकिट नहीं दिया गया। इसके बावजूद ये कांग्रेस संगठन के प्रति जुड़ाव रखते हुए महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष के रूप में पार्टी को अपनी सेवाएं देती रही। पिछले विधानसभा चुनाव में इन्हें टिकिट दिया गया। वे विधायक के रूप में निर्विचित हुई। ये राजस्थान विधानसभा की महिला एवं बाल कल्याण समिति तथा अनुसूचित जनजाति कल्याण समिति की सदस्य रही हैं। दो माह पूर्व ही इन्हें कांग्रेस जिलाध्यक्ष नियुक्त किया गया था।



राज्यपाल श्री शिवराज पाटील ने 16 नवम्बर, 2011 को श्रीमती मेघवाल को राज्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई । इन्हें महिला एवं बाल विकास विभाग दिया गया हैं।


Smt. Manju Devi Meghwal

Party Name: Indian National Congress
Constituency: Jayal (SC),
Opp. Indian Public School,, Bypass Road, Jayal, Nagaur. Rajasthan
Phone No.: 01583-272327


3/1, Vidhayak Nagar (West), Jaipur
Mobile No.: 9413710526, 94133-68125








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1 टिप्पणियाँ इस संदेश के लिए लिंक प्रस्तुतकर्ता प्रमोदपाल सिंह मेघवाल